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Showing posts from June, 2020

आद्रता(humidity) क्या होती है?

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आपने कभी ना कभी ये नाम जरूर सुना होगा। पर इसके बारे में ज्यादा सोचा नहीं होगा तो आज हम इसी के बारे में बात करते है। आद्रता यानी कि हवा में पानी(वाष्प) कि मात्रा। जी हां यही इसका मतलब होता है। गर्मियों में जब बाहर वर्षा हो रही होती है तब आपने ये महसूस किया होगा कि अंदर चिपचिपाहट बढ़ जाती है। आपका पसीना नहीं सूखता, गर्मी बढ़ जाती है। यही चीज आपने तब देखी होगी जब हवा बहना रुक जाती है। तब भी यही समस्या आपके सामने आ जाती है। तो आखिर ये होता क्यों है? दरअसल बारिश के कारण हवा में पानी की मात्रा इतनी बढ़ जाती है कि ये आपके शरीर से निकले पसीने को वाष्प में नहीं बदल पाता। क्यूकी तब हवा में पहले से ही काफी पानी मौजूद होता है। और जब हवा बहना रुक जाती है तब हवा ना होने के कारण ओर गर्मी के कारण पसीना तो निकालता है पर हवा के अभाव में सुख नहीं पता जिससे वो आपके शरीर पे ही बना रहता है। जिससे गर्मी ओर चिपचिपाहट बढ़ जाती है। गर्मियों के दिनों में बन्द कमरे में कूलर चलने पर भी यही समस्या आती है। कूलर ने निकालने वाले पानी के कारण कमरे के वातावरण में पानी की मात्रा ...

घरों में रोशनदान क्यों बनाए जाते है?

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क्या आपने कभी सोचा है कि खिड़कियां होने के बावजूद भी घरो के कमरे में दीवार के उपर रोशनदान क्यों बनाएं जाते है? अब आप कहेंगे कि रोशनी के लिए हां ये कहना भी सही है, पर कुछ हद तक क्योंकि रोशनी तो खिड़कियों से भी आती ही है। तो ये क्या काम करते है तो चलिए आज इनका मुख्य कारण आपको बताते है। घरों के कमरे में गेट या खिड़की के उपर एक छोटी सी जगह छोड़ी जाती है जिसे हम रोशनदान कहते है प्राय हम ये समझते है कि वो रोशनदान रोशनी के लिए बना है हां ये सही है पर इसका एक कारण और है ये रोशनदान कमरे की गर्म हवा को बाहर निकालने का काम करते है जिससे कमरा ठंडा बना रहता है। तो ये केसे काम करता है आइए देखते है आप सभी को पता होगा कि गर्म हवा उपर की ओर और ठंडी हवा नीचे कि और जाती है तो कमरे जो को गर्म हवा होती है वो कमरे में उपर कि ओर होती है और ऊपर रोशनदान होने के कारण वह उसमे से होकर बाहर निकाल जाती है और खिड़की नीचे होती है जिससे ठंडी हवा अंदर आती है।......ये क्रम चलता रहता है ठंडी हवा का खिड़की से अंदर आना ओर रोशनदान से गर्म हवा का बाहर जाना। इसका पता आप घर पे लगा सकते ह...

पसीना(sweat) क्यों निकलता है?

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शरीर से पसीना(sweat) क्यों निकलता है? क्या आपने कभी सोचा कि गर्मी लगते ही पसीना(sweat) आना क्यों शुरू हो जाता है, और आखिर ये आता क्यों है। तो आज हम इसी से बात करेंगे। पिछले ब्लॉक "परफ्यूम हाथ पे ठंडा क्यों लगता है?" को भी पढ़कर आप इस चीज का पता लगा सकते है। https://logicserver.blogspot.com/2020/06/blog-post_23.html जब गर्मी बढ़ती है और हमारे आस पास का तापमान हमारे शरीर के तापमान से उपर चला जाता है, तो शरीर अपने आप को ठंडा बनाने का कार्य चालू कर देता है। और ये काम करती है हमारी त्वचा के नीचे जाल कि तरह फैली हुए स्वेद ग्रंथि । ये ग्रंथि शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने का काम करती है। शरीर ठंडा बना रहे इस लिए शरीर त्वचा रंद्रो के माध्यम से पानी बाहर निकालता है। पानी त्वचा के अंदर की गर्मी व बाहर निकलकर त्वचा के उपर की गर्मी को सोख के वाष्प में बदलता रहता है, पसीना  गर्मी को खुद में अवशोषित करके वाष्प में बदलता रहता है और शरीर का तापमान बढ़ने नहीं देता। जितनी ज्यादा गर्मी उतना अधिक पसीना, ताकि ठंडा करके की प्रक्रिया जल्दी जल्दी हो।  पसीने के...

मात्रको का निर्धारण

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क्या आपने कभी सोचा है कि ये मात्रकों का निर्धारण किसने किया? 1 मीटर कितना लंबा होगा ये फिक्स है किसने फिक्स किया? 1 सेकंड कितना समय होगा ये किसने फिक्स किया? 1 किलोग्राम कितना भारी होगा ये किसने फिक्स किया? ये सभी सवाल कभी ना कभी आपके दिमाग में जरूर आए होंगे। और आपने इन्हे छोड़ दिया होगा। पर आज हम इन्हीं पे बात करेंगे कि इन मूल मात्रकों को फिक्स किसने किया जिसका उपयोग आज पूरी दुनिया कर रही है। इन सभी मात्रकों का निर्धारण नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड एंड टेक्नोलॉजी यू. एस. द्वारा किया जाता है। 1 मीटर -       1 मानक मीटर वह लम्बाई है जो पेरिस में रखी हुई प्लेटिनम-इरेडियम (90% प्लेटिनम तथा 10% इरेडियम) की छड़ पर अंकित दो चिन्हों के बीच की दूरी है। छड़ का ताप 0°C हो। परंतु अब ये मानक बदल दिया गया है, क्योंकि ये मानक नष्ट हो सकता है। इस लिए 1983 में नए रूप में परिभाषित किया गया 1 मीटर वह दूरी है जो प्रकाश द्वारा 1 सेकंड के 29,97,92,458 वें भाग में निर्वात में तय की जाती है। अर्थात 1/29,97,92,458 सेकेंड में प्रकाश द्वारा चली गई दूरी ...

पृथ्वी कैसे घूमती है?

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आप सभी ये तो जानते होंगे की हमारा ग्रह पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगता है, तथा खुद भी अपने अक्ष पर घूमता है। पर कभी आपने ये सोचा कि ये घूमता केसे है?वामावर्त(anticlockwise) या दक्षिणावर्त(Clockwise) पृथ्वी की दो गतियां हैं: घूर्णन और परिक्रमण घूर्णन (Rotation) दैनिक गति परिक्रमण (Revolution) वार्षिक गति पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूरब की ओर घूमती रहती है जिसे पृथ्वी की दैनिक गति कहते हैं। अब इसका पता हम पृथ्वी पे रहकर लगा सकते है।... जब हम किसी बस में सफर कर रहे होते है, तो हमे सड़क किनारे के पेड़ पीछे जाते हुए दिखते है। हम आगे चल रहे होते है, और जो पेड़ स्थिर है, पीछे जाता हुआ नजर आता है। अब यही नियम सूर्य के साथ लगाते है। हम जानते है सूर्य स्थिर है, और पृथ्वी घूम रही है, जिस पर हम रहते है। परन्तु हमे सूर्य पूरब से पश्चिम जाता हुए दिखता है। तो असलियत में सूर्य रुका है, और हम पश्चिम से पूरब की ओर जा रहे है। पृथ्वी  परिक्रमण गति  भी पश्चिम से पूरब की ओर करती है। जिसे पृथ्वी की वार्षिक गति कहते हैं। इसका पता आप सामान्य रूप से पृथ्वी से नहीं लगा...

कैमरा(camera) केसे काम करता है?

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वैसे तो कैमरा बनने की यात्रा काफी लंबी है,परन्तु निरंतर विकास ने आज हमें अत्याधुनिक कैमरा हाथो में दे दिए है। तो आज हम बात करेंगे कि आखिर ये कैमरा काम केसे करता है?........ आजकल आधुनिक कैमरे की बनावट बहुत जटिल तकनीक पर आधारित होती है, और आधुनिक कैमरे अनेक तरह के सुविधाजनक फीचर्स से लैस होते हैं। परन्तु आज भी  कैमरे के अंदर तस्वीर बनने की प्रक्रिया फीजिक्स के बहुत ही सरल नियमों पर आधारित है। आज भी कैमरा का मूल सिद्धांत हमारी आंखों की तरह ही है। स्कूल के दिनों में विज्ञान की किताब में आपने लैंस(lance) वाला पाठ जरूर पड़ा होगा। बस वही तो है .... आपने खुद आजमाया भी होगा। उत्तल लेंस (convex lens) के सामने रखे ऑब्जेक्ट का लेंस की दूसरी ओर किस तरह उल्टी और वास्तविक प्रतिबिंब बनती थी जिसे पर्दे पर प्राप्त करना संभव था! तो आइए इसे इसे समझते है...... मान ले कैमरा एक बंद बॉक्स है, जिसकी एक दीवार में एक छेद है, छेद पर एक उत्तल (कन्वेक्स) लैंस लगा है। अब जब  बॉक्स के बाहर इस छेद के सामने की वस्तु  से रिफ्लेक्ट होकर प्रकाश की किरणें जब लैंस से ...

हथेली पर परफ्यूम ठंडा क्यों लगता है?

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तो आज हम बात करेंगे कि जब परफ्यूम को हथेली पर डालते है तो वो ठंडा लगता है, अब आप कहेंगे कि वो अंदर से ठंडा होता है इस लिए, पर ऐसा नहीं है ये इसे काम करता है:-- ये समझे इससे पहले ये जान ले कि तरल प्रदार्थों जैसे पानी , अल्कोहल , पेट्रोल आदि में ताप देने पर ये हवा में गैस रूप में उड़ जाते है। अब जब आप हथेली पर परफ्यूम डालते होतो परफ्यूम में कई रासायनिक तरल पदार्थ होते है जैसे अल्कोहल । हथेली पर डालते ही अल्कोहल गैस रूप में आने का प्रयास करेगा इसके लिए वो आपकी हाथ कि गर्मी को लेके खुद गैस में बदल के हवा में उड़ जाएगा ओर आपकी हथेली कि गर्मी निकाल जाने से आपको वहा ठंडा महसूस होगा। यही कारण है कि, किसी सतह को ठंडा करने के लिए पानी डाला जाता है। पानी सतह कि गर्मी को खुद में अवशोषित करके वाष्प में बदल जाता है ओर गर्मी निकल जाने के कारण आपकी सतह ठंडी हो जाती है। गर्मी में गर्म खेत में हल्की बारिश होने पर पानी का वाष्प में बदल जाना ओर खेत का ठंडा होना। मन का कोई सवाल या विचार आप कमेंट कर सकते है।manish sharma logicserver.blogspot.com

रंग(colour) क्यों दिखाई देते है?

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कभी आपने सोचा है कि आसमान हमे नीला ही क्यों दिखता है,पेड़ हरे क्यों,टमाटर लाल क्यों,  शायद नहीं क्योंकि हमें ये लगता है कि ये उनका रंग है, इस लिए वो इसी रंग में दिखाई देते है। हां ये कहना सही है पर आज हम जानेंगे कि जिस रंग की वह वस्तु है, उसी रंग कि वो क्यों है। आपको जानकर हैरानी होगी की जो वस्तु हमें जिस रंग की दिख रही है वास्तव में वो उसी रंग को परावर्तित कर रही है। इसे इसे समझने का प्रयास करते है:- हम जानते है  सफेद रोशनी में 7 रंग होते है अब जब सफेद रोशनी जब किसी वस्तु पर पड़ती है तो वस्तु द्वारा उस प्रकाश का अवशोषण होता है जिस रंग को वो वस्तु अवशोषित नहीं कर पाती वह रंग परावर्तित होके हमारी आंखों पर पड़ता है जिससे हमें हो वस्तु उस रंग कि दिखाई देती है जिस रंग को उस वस्तु ने परावर्तित कर दिए था। अब आपको समझ आ गया होगी की आपकी लाल शर्ट वास्तव में सभी रंगों का अवशोषण एवं लाल रंग को परावर्तित कर रही है।  मन का कोई सवाल या विचार आप कमेंट कर सकते है। manish sharma logicserver.blogspot.com

हवा(air) क्यों बहती है?

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ये सवाल कभी ना कभी दिमाग में आता जरूर है, कि हवा क्यों बहती है? चलो बहे पर कभी कभी रुक भी जाती है, और जब रुकती है तो पसीना पसीना कर देती है। तो ये हवा का बहना रुकना तेज बहना और आंधी तूफानों में बदल जाना आखिर होता केसे है? आज हम इसी पे बात करेंगे:-- पृथ्वी के चारों ओर रहनेवाली हवा हमेशा चलती रहती है। गर्म हवा ऊपर उठती है और ठंडी हवा नीचे आती है। जैसे ही गर्म हवा ऊपर उठती है, उसकी खाली की हुई जगह को भरने के लिए ठंडी हवा नीचे आती है। सूर्य की गरमी से धरती और समुद्र के अलग अलग हिस्से अलग अलग समय पर गरम होते हैं। और इस तरह धरती पर हवा का बहना जारी रहता है। आप इसी ऐसे समझ सकते है कि सूर्य का ताप धरती के अलग अलग हिस्सों पे अलग अलग पड़ता है और अन्य भौतिक कारणों के कारण भी अलग अलग स्थानों पर एक ही समय में अलग अलग तापमान रहता है। अब अलग अलग तापमानों के कारण जिस जगह कम तापमान होगा वहा कि वायु ज्यादा तापमान वाले स्थान पर जाएगी। जब तक वो जाएगी तब तक कहीं और इसी स्थिति बन जाएगी ये क्रम ऐसे चलता रहता है और हवा बहती रहती है तभी तो जितना ज्यादा सन्नाटा उतना बड़ा तूफ़ान ह...

चिप्स,कुरकुरे के पैकेट में हवा

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आमतौर पर आपने देखा होगा कि चिप्स और कुरकुरे के पैकेट में हवा भरी होती है, अब आपमें से कुछ कहेंगे की ज्यादा दिखाने के लिए ऐसा किया जाता है।हां  कुछ हद तक ये सही भी है पर इसका एक मुख्य कारण कुछ और है। तो जानते है वो ऐसा क्यू करते है। चिप्स कुरकुरे आदि के पैकेट में नाइट्रोजन गैस भरी होती है ये गैस उस समय अक्रियाशील होती है जब इसे तेल और वसा वाले पदार्थो के साथ भरा जाता है, और पैक कर दिया जाता है।वातावरण की ऑक्सीजन तुम्हारे चिप्स, कुरकुरे तक नही पहुँच पाती और उसका ऑक्सीडेशन नही होगा। ये नाइट्रोजन गैस चिप्स ,कुरकुरे की रंसिडिटी(rancidity) को रोकती है।अगर रंसिडिटी हो गयी तो एक स्मेल आना शुरू हो जायेगी जिसे हम सेव,चिप्स या तली हुई चीजो का तेल छोड़ना कहते है।फिर ये चीजें खाने योग्य नही रह जाती। किसी भी प्रकार से रंसिडिटी को रोकने के लिए ही हम फैट्स और आयल वाली चीजों को एयर टाइट बॉक्स में रखते है,सीधे प्रकाश में नही रखते है,फ्रीज में रखते है या खाने में एंटी-ऑक्सीडेंट्स मिला देते है। तो अब आप समझ गए होंगे कि सिर्फ बड़ा दिखाने के लिए ही नहीं बल्कि ल...

नार्को(narco) टेस्ट

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आपने कभी ना कभी ये शब्द सुना होगा, और जब बात झूट पकड़ने की आ जाए तो यही टेस्ट दिमाग में आता है कि, नार्को टेस्ट करवाके झूट और सच पकड़ा जा सकता है। तो क्या सच में ये टेस्ट झूट को पहचान लेता है, तो जानते है, कि ये केसे काम करता है और किस तरह से छूट पकड़ता है। वास्तव में कोई भी व्यक्ति अपनी कल्पना का इस्तेमाल करके झूठ बोलता है।अगर व्यक्ति की कल्पना करने की शक्ति को कुछ समय के लिए किसी तरह रोक दिया जाए तो वह झूठ नही बोल पायेगा। नार्को टेस्ट में व्यक्ति की इसी कल्पना करने की शक्ति को कमजोर बना दिया जाता है।इसके लिए उसे सोडियम पेंटोथल या सोडियम अमाइटल का  इंजेक्शन दिया जाता है। इंजेक्शन के प्रभाव से उस व्यक्ति की समझने-बुझने की शक्ति कुछ समय के लिए क्षीण हो जाती है। अब जब उससे इस दशा में सवाल किये जाते है तो वह जवाब में झूठ नही बोल पाता। क्योंकि उसकी कल्पना करके झूट बोलने की शक्ति क्षीण हो चुकी होती है, और वह फेर बदल किए बिना सही सही जानकारी ही दे पाता है।  इसका एक नाम ' ट्वायलाइट स्लीप 'भी है। तो अब आप समझ गए ये टेस्ट केसे काम करता है। मन का कोई ...

बादलों के अलग अलग रंग

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जब भी हम  आसमान  की तरफ देखते हैं,  सफेद,स्लेटी व काले  रंग के बादलों से ढका एक विशाल नीला आसमान दिखाई देता है। ज़्यादातर  बादल   सफेद  होते हैं, लेकिन जब आंधी या बारिश होने वाली होती है, तो  काले बादल  छा जाते है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि बादल सफेद, स्लेटी या काले क्यों होते हैं? जैसा कि आपको पता है, बदल पानी कि छोटी छोटी बूंदों छोटे छोटे बर्फ के टुकड़ों से बना होता है। ये बादलों के अलग अलग रंग होने का कारण है, सघनता ।  जो बादल कम सघन होते है वो हमें ऊपर दिखते है सफेेद दिखते है, सघनता कम होने के कारण सूर्य का प्रकाश बादलों  के आर पार हो जाता है और बादलों मे घुल जाता है और हमारी आँखों पे गिरता है सघनता कम होने के कारण प्रकाश  का परावर्तन पूर्ण रूप से हो जाता है जिससे हमें उनका रंग सफ़ेद दिखाई देता है  इसके विपरीत जो बादल  अधिक सघन होते है वो सफ़ेद की तुलना मे निचे बनते है तथा काले रंग के होते है क्यूकी अधिक सघनता के कारण सूर्य का प्रकाश उनमे से निचे नहीं आ पाता  और बदलो के द्वारा ...

कुल्फी वाला बर्फ में नमक क्यों डालता है?

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क्या आपने कभी सोचा है कि वो ऐसा क्यों करता है। हां आपमें से कुछ कहेंगे कि बर्फ में नमक डालने से बर्फ कम पिघलती है। हा ये सही है पर ये ऐसे काम करता है:-- आइसक्रीम या कुल्फी का फ्रीजिंग पॉइंट है -5 डिग्री सेल्शियस (लगभग) होता है। अब ये बर्फ के फ्रीजिंग पॉइंट 0 डिग्री सेल्शियस से भी कम है।अब परेशानी ये रहेगा की यदि आइसक्रीम जमाने के लिये केवल बर्फ का उपयोग किया तो आइसक्रीम जमने के पहले बर्फ पहले पिघल जायेगी। तो इसका उपाय है। नमक(salt)   नमक हमे इसका हल दे देता है। ये बर्फ के साथ होने पर उसके फ्रीजिंग/मेल्टिंग पॉइंट को कम कर देता है मतलब अब बर्फ पिघलेगी लगभग -20 डिग्री सेल्शियस पर।(पिघली भी तो ताप नही बदलेगा पानी का)।अब आइसक्रीम तो -5 डिग्री सेल्शियस के लगभग पर ही जम जायेगी।  मन का कोई सवाल या विचार आप कमेंट कर सकते है।manish sharma logicserver.blogspot.com

दूरी और विस्थापन

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अगर आप सोचते हो की विस्थापन और दूरी दोनों एक ही है,ये सोचना गलत है  किसी वस्तु द्वारा तय किए गए मार्ग की लंबाई को दूरी कहते है, जबकि किसी वस्तु द्वारा तय किए गए मार्ग के प्रारम्भ बिंदु व मार्ग के अंतिम बिंदु के बीच की लंबवत (सीधी) दूरी को विस्थापन कहते है। दोनों राशियों का मात्रक मीटर होता है  चित्र के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है, की वास्तविक मार्ग की लंबाई दूरी  कहलाती है,  जबकी मार्ग के प्राारम्भ व अंतिम बिंंदु की बीच की सीधी दूूूूरी को विस्थापन कहते है। मन का कोई सवाल या विचार आप कमेंट कर सकते है।      manish sharma logicserver.blogspot.com

विस्थापन

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सामान्यतः हम दूरी और विस्थापन को एक ही समझ लेते है। परन्तु इनमें अंतर होता है।  मान लीजिए आप एक पार्क के चक्कर लगाते है और चक्कर लगाने के बाद आप वहीं आ जाते है जहां से आपने चक्कर लगाना शुरू किया था, तो आपको जानकर हैरानी होगी की आपका विस्थापन 0 होगा।  एक निश्चित दिशा में दो बिंदुओं की बीच की लंबवत (न्यूनतम) दूरी को विस्थापन कहते है।  विस्थापन सिर्फ प्रथम बिंदु और अंतिम बिंदु की बीच की सीधी दूरी होती है। इसका मात्रक मीटर होता है।यह एक सदिश राशि है। मन का कोई सवाल या विचार आप कमेंट कर सकते है। manish sharma logicserver.blogspot.com

प्रकाशवर्ष

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जैसा कि नाम से बोध हो रहा है।...  1 प्रकाश वर्ष से तात्पर्य है, प्रकाश द्वारा 1 वर्ष में तय की गई दूरी। ये दूरी का मात्रक है। इसका उपयोग लंबी दूर मापने की लिए किया जाता है।                प्रकाश की चाल = 3×10^8 मी./से.                1 प्रकाश वर्ष = 9.46×10^15 मीटर   अब आप सोच सकते है कि ये दूरी कितनी ज्यादा बड़ी होगी। हालांकि ये दूरी की सबसे बड़ी इकाई नहीं है। दूरी की सबसे बड़ी इकाई है  पारसेक है।                       1  पारसेक = 3.26 प्रकाश वर्ष ये दूरी मापने की इकाईया सामान्य व्यवहार में उपयोग में नहीं आती है। इनका उपयोग अंतरिक्ष में किसी पिंड की दूरी मापने के लिए किया जाता है।  मन का कोई सवाल या विचार आप कमेंट कर सकते है। manish sharma logicserver.blogspot.com